झारखंड की राजधानी रांची को झरनों का शहर यानी सीटी ऑफ वॉटरफॉल्स से जाना जाता है. ये शहर ना केवल खनिज संपदा और जनजातीय संस्कृति के लिए चर्चित है, बल्कि अपने प्राकृतिक जलप्रपातों के लिए भी मशहूर है. हर वर्ष हजारों पर्यटक इन झरनों की खूबसूरती का दीदार करने आते हैं. शहर में अनेक सुंदर, ऐतिहासिक और प्राकृतिक झरने हैं. जिनमें हुंडरू जलप्रपात, दशम जलप्रपात, जोनहा जलप्रपात, पंचघाघ जलप्रपात और हिरनी जलप्रपात जैसे कई फेमस वॉटर फॉल हैं. तो आइए एक-एक कर जानते है इन सभी वॉटरफॉल की क्या है खासियत….
1. हुंडरू वॉटरफॉल: रांची से करीब 45 किमी दूर स्वर्णरेखा नदी के किनारे स्थित है. ये सबसे ऊंचा झरना माना जाता है, जिसकी ऊंचाई 98 मीटर है. वाटरफॉल तक पहुंचने के लिए 750 से अधिक सीढ़ियां उतरनी होती हैं. स्वर्णरेखा नदी को संथाली लोग पवित्र मानते हैं. यहां पर्यटक पिकनिक, बोटिंग, फोटो शूट, ट्रेकिंग और नेचर वॉक के लिए आते हैं. यहां पूरे साल लोगों का आना-जाना लगा रहता है. बारिश के मौसम में हुंडरू फॉल और भी ज्यादा आकर्षक लगता है, जिसके कारण यहां सैलानियों की भीड़ लगी रहती है.
2. दशम वॉटरफॉल: राजधानी से 45 किमी दूर बुंडू प्रखंड में स्थित है. स्थानीय लोग दशम फॉल को”दसों घाटी का गहना” भी कहते हैं. यह झरना जलप्रपात कांचा नदी पर बना है. इस झरने की खासियत यही है कि अलग-अलग जलधाराएं एकसाथ मिलकर गिरती हैं. इन धाराओं की गिरने की आवाज कोमल गीत जैसी लगती है. झरना 144 फीट की ऊंचाई से गिरता है. इस फॉल को प्राकृतिक सुंदरता के लिए सबसे लोकप्रिय माना जाता है. दशम वाटरफॉल चारों ओर घने उष्णकटिबंधीय वनस्पति से घिरा हुआ है. इसके अलावा विभिन्न आकृतियों, आकारों और रंगों की घिसी-पिटी चट्टानों से घिरा हुआ है. इसे एक अच्छे पिकनिक स्पॉट के लिए भी जाना जाता है.
3. पंच घाघ वॉटरफॉल: रांची से लगभग 55 किमी दूर हरे भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ पंच घाघ वॉटरफॉल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए फेमस है. साल, बांस, और पलाश के वृक्ष से घिरा हुआ यह वाटरफॉल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यह झरना खूंटी जिले में स्थित है. एक साथ पांच धाराएं बहने के कारण इसे पंच घाघ के नाम से जाना गया. ऐसा कहा जाता है कि एक समय 5 बहनें एक ही युवक से प्रेम कर बैठीं थीं, जब उनका प्रेम अधूरा रह गया, तो उन्होंने इस नदी में कूदकर अपनी जीवन त्याग दिया. तभी से यह नदी पांच धाराओं में बहने लगी. पर्यटक यहां शांति-सुकून, बोटिंग, ट्रैकिंग, फोटोग्राफी और पिकनिक मनाने आते है. यहां आने का सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का है.
4. हिरनी वॉटरफॉल: रांची से लगभग 72 किलोमीटर दूर बसा हिरनी फॉल मन और आत्मा के मिलन का एक प्राकृतिक स्थान है. यह झरना घने जंगलों और ऊंची पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो मानसिक शांति और आत्मिक सुकून देता है. पश्चिम सिंहभूम के बंदगांव प्रखंड में स्थित यह झरना 300 फीट की ऊंचाई से गिरता है. यहां लोग नए साल में अपने परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने आते हैं.
5. जोन्हा वॉटरफॉल: रांची से 45 किमी दूर रांची-पुरुलिया राजमार्ग पर स्थित जोन्हा फॉल को फॉल गौतमधारा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध ने इस क्षेत्र में तपस्या की थी, जिसके बाद से गौतमधारा के नाम से जाना गया. यहां एक बौद्ध मठ और गौतम बुद्ध का मंदिर भी है, जिसका निर्माण रामदयाल मुण्डा ने करवाया था. यह जगह बौद्ध धर्म के लोगों के लिए तीर्थ स्थल के रूप से प्रसिद्ध है. लगभग 43 मीटर की ऊंचाई वाला ये फॉल एक सुंदर और शांतिपूर्ण स्थल के लिए लोकप्रिय है. वॉटरफॉल तक पहुंचने के लिए 772 सीढ़ियों पर चढ़कर जाना होगा.
6. सीता वॉटरफॉल: धार्मीक आस्था से जुड़ा यह वॉटरफॉल सभी फेमस झरनों में से एक है. इसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और सीता इस क्षेत्र से गुजर रहे थे, तो माता सीता ने इसी स्थान पर कुछ समय विश्राम किया था. कुछ कथाओं में यह भी बताया गया है कि उन्होंने इस जलधारा में स्नान किया था. जिसके बाद से इस झरने के नाम सीता फॉल नाम दिया गया. इसके नजदीक में ही मां सीता का एक मंदिर भी है, जो सैलानियों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है. मंदिर में माता सीता के पदचिन्हों को संरक्षित कर रखा गया है. हर वर्ष हजारों की संख्या में सैलानी यहां झरना की खूबसूरती का दीदार करने और माता के पदचिन्हों के दर्शन करने आते हैं. सीता वॉटरफॉल रांची से करीब 40 किलोमीटर दूर रांची-पुरुलिया मार्ग पर स्थित है.
7. लोध वॉटरफॉल: यह लातेहार जिले में स्थित झारखंड का सबसे ऊंचा वॉटरफॉल जलप्रपात है. छत्तीसगढ़ के पठारी क्षेत्र से निकलने वाली बूढ़ा नदी लातेहार के जंगलों और चट्टानों को पार करते हुई 143 मीटर उंचाई से गिरती है. लोध वॉटरफॉल को बूढ़ा घाघ नाम से भी जाना जाता है. बारिश के मौसम में जलधारा तीन अलग-अलग धाराओं में विभक्त होकर नीचे गिरती है. लोध फॉल में बारिश होने के बाद सैलानी इसकी छटा देखने आते हैं. झरना रांची से 217 कि दूरी पर स्थित है.
8. रजरप्पा वॉटरफॉल: रामगढ़ जिले में स्थित रजरप्पा वॉटरफॉल का प्राकृतिक सौंदर्य, आध्यात्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत देखने को मिलता है. खूबसूरत वॉटरफॉल के साथ-साथ शक्तिपीठ मां छिन्नमस्तिका मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है. यह झरना भैरवी और दामोदर नदी के संगम पर स्थित है. घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा यह वॉटरफॉल अत्यंत मनोहारी दिखाई देता है. सैलानी यहां बोटिंग, फोटोशूट और पिकनिक का आनंद लेते हैं. खासकर वरात्र, मकर संक्रांति और साल के अंत में यहां भीड़ होती है.