Jharkhand: रामगढ़ जिले के वेस्ट बोकारो में टाटा स्टील फाउंडेशन की ओर से जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. फाउंडेशन की पहल पर महिलाओं की आजीविका के नए द्वार भी खुल गए हैं. पिछले एक वर्ष में टाटा स्टील फाउंडेशन ने वेस्ट बोकारो के सूखाग्रस्त गांवों में स्थानीय समुदाय के बीच जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 13 तालाब और कई चेक डैम का निर्माण कराया है. टाटा स्टील प्रबंधन के अनुसार हर बड़ी और प्रेरणादायक सफर की शुरुआत छोटे प्रयासों से होती है.
बड़गांव पंचायत की किसान रूपम देवी ने बताया कि एक समय था कि वह कृषि कार्य के लिए पूरी तरह बारिश पर निर्भर थी. जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी खेती और आजीविका को नई दिशा दी है. आज वह सौर ऊर्जा से चलने वाली सिंचाई सुविधा के माध्यम से उच्च मूल्य वाली विविध फसलों की सफलतापूर्वक खेती कर रही हैं. आज रूपम देवी धान के साथ-साथ फूल गोभी, प्याज़, तरबूज और खीरे की खेती कर रही है.
इस बदलाव से उनकी वार्षिक आय 50 हजार रुपये से बढ़कर 70 हजार रुपये तक पहुंच गई है. उनकी यह सफलता आसपास के गांवों की कई महिला किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है.
टाटा स्टील फाउंडेशन ने रूपम देवी जैसी 10 महिला किसानों के लिए सौर ऊर्जा आधारित जल पंप लगवाने की पहल की है. ताकि सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा सके. इन पंपों की मदद से किसानों को सालभर निर्बाध जल आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है. इससे वे अब बारिश पर निर्भर हुए बिना फसलों की खेती कर पा रहे हैं.
सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई के साथ-साथ, टाटा स्टील फाउंडेशन ने जल संरक्षण और सतत सिंचाई की दिशा में ग्राउंडवॉटर रिचार्ज की पहल शुरू की है. इन प्रयासों का लक्ष्य 3.8 मिलियन क्यूबिक फीट तक भूजल भंडारण क्षमता विकसित करना है.
टाटा स्टील फाउंडेशन के तहत नवाडीह में छह तालाबों का निर्माण हुआ है. जबकि अतना, बंजी, जोबला, मांडू और सोनडीहा गांवों में एक-एक तालाब विकसित किए गए हैं. इसके अतिरिक्त, कुजू नॉर्थ क्षेत्र में दो तालाब और बसंतपुर पंचायत के बेरवा गांव में एक चेक डैम का निर्माण किया गया है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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