झारखंड राज्य को ‘खनिजों की टोकरी’ के नाम से जाना जाता है. यहां धरती के गर्भ में सबसे बड़ा कोयले का भंडार है. इसके अलावा लौह अयस्क, अभ्रक, बॉक्साइट, चूना पत्थर और तांबा और यूरेनियम जैसे कई खनिज पाए जाते है. देश के कुल खनिजों का 40% खनिज यहां मौजूद है. यह खनिज न केवल झारखंड की आर्थिक शक्ति का केंद्र है, बल्कि यह देश की औद्योगिक प्रगति में भी अहम भूमिका निभाते हैं. खनिज संसाधनों की उपलब्धता से झारखंड माइनिंग हब बना चुका है. सबसे ज्यादा खनन सिंहभूम और धनबाद जिलों में होता है, यहां लौह अयस्क और कोयला सबसे अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. इन खनिजों के आधार पर राज्य में लोहा और इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग, रिफ्रेक्ट्रीज उद्योग, कोक ओवन उद्योग, एल्युमिना उद्योग, स्पंज आयरन उद्योग, सिरेमिक उद्योग जैसे कई उद्योग स्थापित हुए हैं. इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में राज्य में खनिज उत्पादन 138.15 मिलियन टन हुआ. चलिए विस्तार में जानते हैं झारखंड के इन खनिजों के बारे में….
1. कोयला
झारखंड भारत का सबसे सर्वाधिक कोयला उत्पादक राज्य है. यहां मुख्य रूप से धनबाद, रामगढ़, बोकारो, चतरा, गिरिडीह, हजारीबाग, लातेहार और पलामू जिलों में कोयले की खदानें फैली हुई हैं. कोयले का उपयोग बिजली उत्पादन, इस्पात उद्योग और सीमेंट उद्योग जैसे कई कामों में किया जाता है.
कोयला उत्पादन
सरकारी आंकड़ो के अनुसार दिसंबर 2023-2024 तक झारखंड में कोयला उत्पादन लगभग 140.69 मिलियन टन दर्ज किया गया था. वहीं, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) के आंकड़े बताते है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 40.55 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया.
कोयले से रिवेन्यू
झारखंड की अर्थव्यवस्था में कोयला खनन अहम भूमिका निभाता है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) विभिन्न राज्यों को कुल 60,959.52 करोड़ रुपये का राजस्व भुगतान किया, जिसमें सबसे ज्यादा झारखंड के खाते में 14,047.44 करोड़ रुपये आए.
कोयला खनन की बड़ी कंपनियां
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL)
सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL)
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL)
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड (HIL)
ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL)
झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (JSMDC)
2. लौह अयस्क
झारखंड में कोयले के बाद लौह अयस्क का ही नाम खनिज संपदा में आता है. यहां लौह अयस्क के विशाल भंडार हैं, जो देश की इस्पात उद्योग की रीढ़ कहा जाता हैं. लौह अयस्क मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है- कहीं- कहीं हेमेटाइट पाया जाता है, तो कुछ क्षेत्रों में मैग्नेटाइट होता है. देश में झारखंड का योगदान लगभग 15-20% है. पश्चिम सिंहभूम में लौह अयस्क का 80% से अधिक उत्पादन होता है. लौह अयस्क का उपयोग 90% से अधिक स्टील बनाने में होता है. स्टील का उपयोग भवन निर्माण, रेलवे, पुल, औद्योगिक मशीनरी, ऑटोमोबाइल, पाइपलाइन आदि में होता है.
लौह अयस्क के उत्पादन
ग्लोबल इकनॉमी टाइम के अनुसार झारखंड में लौह अयस्क का उत्पादन लगभग 13.67 लाख टन दर्ज किया गया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-2024 में भारत में लौह अयस्क का कुल उत्पादन लगभग 274 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) था.
लौह अयस्क के राजस्व
झारखंड में लौह अयस्क उत्पादन वित्त वर्ष 2022- मार्च 2023 में लगभग 75,358 करोड़ रुपये था.
लौह अयस्क की कंपनियां
1. सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) प्रमुख कंपनी है.
2. टाट स्टील
3. वेदांता लिमिटेड
4. जार्ज फर्नांडिस माइंस
5. मेसर्स एसकेएम ग्रुप
लौह अयस्क के उत्पादन
3. अभ्रक
झारखंड में कोयला, लौह अयस्क के साथ-साथ अभ्रक भी काफी मात्रा में पाया जाता है. देश में अभ्रक (Mica) के उत्पादन में भी अग्रणी स्थान रखता है. ये मुख्यतः कोडरमा, गिरिडीह, और हजारीबाग जैसे जिले में पाया जाता है. अभ्रक पतली चादर जैसी चमकदार परतों में पाया जाता है. इसका उपयोग लेक्ट्रॉनिक उपकरणों, कॉस्मेटिक्स, और पेंट इंडस्ट्री में व्यापक रूप से किया जाता है. एक समय पर कोडरमा को ‘अभ्रक नगरी’ कहा जाता था. 1980 के वन संरक्षण अधिनियम के बाद अभ्रक खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस अधिनियम का उद्देश्य वनों की कटाई को नियंत्रित करना और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करना था. हालांकि बाद में कई लोग अवैध रूप से अभ्रक खनन करने लगे.
4. चूना पत्थर और तांबा
चूना पत्थर (लाइमस्टोन) और तांबा (कॉपर) जैसे महत्वपूर्ण खनिज झारखंड में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह खासकर हजारीबाग, सिंहभूम, पाकुड़, गढ़वा, रांची, गिरिडीह और बोकारो जिलों में पाए जाते हैं.
चूना पत्थर का उत्पादन
भारतीय खान ब्यूरो (IBM) के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में अप्रैल 2023 से नवंबर 2023 तक चूना पत्थर का उत्पादन लगभग 11.85 मिलियन टन था.
चूना पत्थर खनन कंपनियां
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL)
झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSMDC)
तांबा खनन कंपनियां
- हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL)
- JSW ग्रुप
चूना पत्थर और तांबा से रेवेन्यू
झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, वित्तीय 2023-24 में तांबे (कॉपर) से राज्य सरकार को लगभग ₹16,116 करोड़ का राजस्व मिला. वहीं चूना पत्थर से वित्तीय वर्ष 2024-2025 में खनन रॉयल्टी से राज्य सरकार को लगभग ₹19,300 करोड़ का राजस्व मिलने का अनुमान है.
5. बॉक्साइट
झारखंड में बॉक्साइट मुख्य रूप से लोहरदगा, गुमला, रांची, और सिमडेगा जिलों में पाया जाता है और इन क्षेत्रों में बॉक्साइट का खनन भी होता है. बॉक्साइट से एल्युमिनियम धातु का निर्माण किया जाता है, इसके बिना एल्युमिनियम उत्पादन संभव नहीं है. इसका उपयोग हवाई जहाज, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसोई के बर्तन, ऑटोमोबाइल और निर्माण कार्यों में किया जाता है.

बॉक्साइट उत्पादन
झारखंड में बॉक्साइट उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है. भारत के कुल बॉक्साइट उत्पादन का करीब 10-12% हिस्सा झारखंड में आता है. मिनिस्ट्री ऑफ माइंस के आंकड़े बताते है कि वित्तीय वर्ष 2023-2024 में राज्य ने भारत के कुल बॉक्साइट उत्पादन का लगभग 8.5% योगदान रहा.
बॉक्साइट खनन कंपनियां
हिंदाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड
एसजीएक्स मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड
झारखंड बॉक्साइट मिनरल्स
6. यूरेनियम
झारखंड में यूरेनियम विशेष रूप से पश्चिमी सिंहभूम जिलों में पाया जाता है. राज्या में मुख्य रूप से जादुगुड़ा खदान, भटिन खदान, नरवापहाड़ खदान और टुरामडीह खदान जैसी कई खदानें हैं. इन खदानों को यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (UCIL) संचालित करता है. इसका उपयोग मुख्य रूप से ऊर्जा उत्पादन और रक्षा क्षेत्रों जैसे परमाणु हथियार, रेडियो आइसोटोप और विकिरण परिरक्षण में होता है. झारखंड में यूरेनियम उत्पादन के सटीक आंकड़े कहीं मौजूद नहीं है. राज्य में खनन यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (UCIL) द्वारा किया जाता है.
