चतरा: पढ़-लिख कर युवाओं का रुझान महानगरों और मेट्रो सिटी की ओर रहता है लेकिन ऐसे भी युवा हैं जो महानगरों से लौटकर गांव में खेती कर रहे हैं और अच्छी पहचान बना रहे हैं। झारखंड के चतरा का एक ऐसा ही युवा, जो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहा है, लाखों का पैकेज ठुकरा कर परंपरागत खेती में बदलाव कर आज अच्छी आमदनी कर रहा है।
चतरा जिले के पत्थलगडा के एक किसान का बेटा राजधानी दिल्ली में विदेशी कंपनियों के लाखों रुपये का डिमांड ठुकरा कर गांव के परंपरागत खेती में किस्मत आजमा रहा है और कई लोगों को रोजगार दे रहा है। ऑर्गेनिक कृषि को अपनाकर संजीव कुमार ने युवाओं के बीच एक अलग पहचान बनाई है। साथ ही अच्छी आमदनी कर रहा है।
संजीव कुमार पत्थलगड़ा निवासी जगदीश दांगी का पुत्र है। उसने आईआईटी धनबाद में बीएससी-आईटी का कोर्स करने के बाद छह साल दिल्ली में फाल्कन सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन और 8 साल ट्राइजिन सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन में जॉब किया।
ट्राइजिन सॉल्यूशन में उसे 20 लाख का पैकेज मिला हुआ था। विदेशी कंपनी आराम को में, जो रियाद में अवस्थित है, उसे सालाना 32 लाख का पैकेज मिला था लेकिन उसने इसे ठुकरा कर परंपरागत कृषि की ओर लौटने का मन बनाया। चार साल से वह कांट्रैक्ट फार्मिंग कर रहा है। हजारीबाग के पदमा प्रखंड के सोनपुर गांव में लगभग 20 एकड़ में बागवानी और सब्जियों की खेती कार्य में जुटा हुआ है। चार लाख से शुरू की गई फार्मिंग में अभी टर्नओवर 20 लाख से अधिक का है। 15 से अधिक लोग नियमित उसके खेतों में काम कर रहे हैं।
संजीव कुमार ने कहा कि मिट्टी को संरक्षित करने के उद्देश्य से उसने वैदिक खेती की ओर कदम बढ़ाया है। मिट्टी को केमिकल मुक्त बनाने के साथ उसके खेतों की उपज आम लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़े और खाने वाला निरोग रहे इसी को ध्यान में रखकर वह खेती कर रहा है। उसने कहा कि वैदिक रीति से बने खाद और उर्वरक का वह उपयोग करता है। किसी भी स्थिति में रासायनिक खाद, दवा एवं उर्वरक का प्रयोग उसके खेती में नहीं हो रहा है।
संजीव के मुताबिक, परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी भी की जा रही है। ढाई एकड़ में आम और ढाई एकड़ में अनार, एक एकड़ में मौसमी और संतरा, एक एकड़ में नेट हाउस और 14 एकड़ में वह सब्जियों की खेती कर रहा है। अभी उसके खेतों में टमाटर, मटर, भिंडी, प्याज, फ्रेंच बीन, सरसों, ब्रोकली, धनिया, लौकी और अन्य फसल लहलहा रहे हैं। उसने कहा कि किसानों का आय कैसे बढ़े इसी को ध्यान में रखकर जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसान साग और सब्जियों की खेती के साथ-साथ बागवानी कर अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं।
संजीव ने कहा कि परंपरागत खेती में नई तकनीक को लाकर वह उत्पादन बढ़ाने पर विश्वास रखता है। उन्नत खेती को अपनाकर छोटे किसान आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्नत खेती को बढ़ावा देने के लिए उसने जैविक और वैदिक खेती का प्रचार प्रसार भी कर रहा है। संजीव ने कहा कि जब मिट्टी स्वस्थ रहेगी और फसल का सही चुनाव कर किसान परंपरागत खेती करेंगे तो किसान के साथ-साथ खाने वाला भी निरोग रहेगा।
हिन्दुस्थान समाचार